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ब्रेक की मौजूदगी से बढ़ती है गाड़ी की स्पीड:- जितेंद्र यादव….32 वे स्थापना दिवस पर जिला पंचायत सीईओ ने स्कूली छात्रों को किया मोटिवेट

रायगढ़ :- अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा के 32 वे स्थापना दिवस पर जिला पंचायत सीईओ जितेंद्र यादव ने मौजूद स्कूली छात्र छात्राओं का बताया कि गाड़ी में ब्रेक की मौजूदगी गाड़ी की गति को रोकने के लिए नहीं बल्कि उसकी गति बढ़ाने के लिए होती है। बच्चे अब तक ये समझते रहे कि ब्रेक गाड़ी की गति को रोकता है । जितेंद्र यादव के इस अनोखे तर्क से छात्र आश्चर्य चकित हुए बिना ना रह सके। जितेंद्र यादव ने विस्तार से समझाते हुए कहा ब्रेक के बिना गाड़ी को तेज चलाया जाना सम्भव नहीं है। जिस तरह ब्रेक गाड़ी को गति देती है वैसी ही माता पिता की सलाह छात्रों को जीवन का ब्रेक होने का एहसास कराती है।माता पिता के सुझाव भले ही ब्रेक की तरह लगते हो लेकिन बच्चों को जीवन में इस ब्रेक से गति मिलती है । छात्रों को उन्होंने माता पिता की सलाह को मानने की सलाह देते हुए कहा अच्छी बातों को सभी लोगों को डायरी में नोट करके रखना चाहिए अन्यथा भूल जाने की संभावना होती है। अपने जीवन का संस्मरण साझा करते हुए उन्होंने कहा उनकी शिक्षा भी सरकारी स्कूल में हुई है। एक परीक्षा देने के निर्णय की वजह से मिली कामयाबी का जिक्र करते हुए कहा ऐसा भी दौर रहा जब शिक्षा के लिए पर्याप्त साधन मौजूद नहीं थे लेकिन आज साधनों की कमी नहीं है। सिर्फ साधनों के जरिए शिक्षा हासिल नहीं की जा सकती है । शिक्षा के लिए उन्होंने ईमानदारी लगन से अनुशासन के साथ परिश्रम करने पर जोर दिया। मध्यम वर्गीय परिवार से जुड़े पालकों को सलाह देते हुए जितेंद्र यादव ने कहा बच्चों को अवश्य शिक्षित करे क्योंकि शिक्षा के जरिए जीवन में बदलाव लाया जा सकता है शिक्षा ही बच्चों को कामयाबी का अवसर देती है।छात्रों को सफलता के टिप्स देते हुए कहा पहले यह तय करना चाहिए कि जीवन में कामयाब क्यों होना चाहिए ? कामयाब होने की सही राह कौन सी है ? ऐसे सवालों को समझने के बाद कामयाबी हासिल करने के लिए छोटे छोटे साधनों की तलाश की जाती है । जो हमें कामयाब बना सकती है। बिना तैयारियों के साथ चलने की मानसिकता को घातक बताते हुए कहा यह स्थिति कामयाबी को कठिन बना सकती है। कलेक्टर, डॉक्टर, इंजीनियर या जो कुछ बनना है सबकी राह अलग अलग है। अपनी रुचि के अनुरूप मार्ग में जब हम तैयारियों के साथ चलना शुरू करते है तो निर्धारित मंजिल तक आसानी से पहुंच जाते है। कामयाबी का मकसद पहले से मालूम होना चाहिए अन्यथा कामयाबी अहंकारी बना सकती है। कामयाबी के बाद बिना मकसद के कमाए गए पैसे के दुरुपयोग से जीवन की शांति छिन भिन्न हो सकती है। करप्शन के कमाई से जीवन की सुख शांति अमन चैन छीन सकता है। कामयाबी का लाभ इर्द गिर्द मौजूद लोगों को मिलना चाहिए। कामयाब होने के बाद मिली सरकारी नौकरी के दौरान बहुत से ऐसे लोगों का काम प्राथमिकता से करते है जो सक्षम नहीं है ऐसे लोगों का काम करने के दौरान उन्हें मानसिक शांति का अनुभव होता है। कामयाबी के जरिए बच्चे माता पिता के संघर्ष का जीवन खत्म कर सकते है और अन्य लोगों को कामयाब होने के लिए प्रेरित कर सकते है। आज की पीढ़ी कर्तव्यों के प्रति कम जागरूक है और अधिकारों की मांग अधिक करती है। समाज से हमे क्या मिला इसकी बजाय हमने देश समाज को क्या दिया इस पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए। कामयाबी मिलने के बाद बंगला साधन पैसे से कुछ समय तक खुश रहा जा सकता है लेकिन यह जीवन की स्थाई नहीं अपितु क्षणिक खुशी है। आस पास के लोगों को भाग्यशाली बताते हुए उन्होंने कहा पूज्य बाबा प्रियदर्शी राम जी का सानिध्य एवं आध्यात्मिक मार्गदर्शन लोगों को मिलता है। गुरु के सान्निध्य से जीवन की कठिनाई दूर हो जाती है । जैसे सिलेब्स देखकर हम परीक्षाओं को आसानी से पास करते है वैसे ही जीवन के सिलेब्स को भी समय रहते समझने की अवश्यकता जताई। जैसे वजन नियंत्रित रखने के लिए खान पान के नियंत्रण के साथ साथ नियमित व्यायाम आवश्यक है लेकिन जब हम इसका पालन नहीं करते है तो इसका दुष्परिणाम खुली आंखों से देखा जा सकता है। जीवन में क्या करना है ? कैसे करना ? इसके साथ क्या नहीं करना है इसकी जानकारी निस्संदेह छात्रों को गलत मार्ग में जाने से रोकती है। आज की पीढ़ी मोबाइल का अधिक इस्तेमाल कर अमूल्य समय को गंवा रही है। समय की असली सोना बताते हुए कहा पढ़ने की उम्र होती है एक समय के बाद पढ़ने की सीमा खत्म हो जाती है इसे समझना चाहिए।बच्चों की कामयाबी के लिए पलकों को भी मोबाइल के इस्लेमाल से दूर रहने की सलाह देते हुए मोबाइल बड़ी बीमारी बताया। मोबाइल की वजह से गुस्सा क्रोध चिड़चिड़ापन और मानसिक अवसाद तेजी से बढ़ रहा है। उम्र से पहले अत्यधिक सोचने की मानसिकता को खतरनाक बताते हुए कहा आज की पीढ़ी पढ़ाई के दौरान शादी विवाह के संबंध में निर्णय लेने लगी इससे कामयाबी प्रभावित हो सकती है। जीवन के सच्चा प्यार माता पिता के अलावा कोई दूजा नहीं कर सकता । नशे के लिए अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा आश्रम सदैव नशे के अलावा समाजिक बुराई सट्टा जुआ से दूर रहने की प्रेरणा देता है इसका पालन हर व्यक्ति को अनिवार्य रूप से करना चाहिए।

लोगों का काम करके खुशी मिलती है

कामयाबी से मिली कुर्सी से वास्तविक खुशी तब मिलती है जब प्राथमिकता से आम जनता का काम करता हूं। जनता का निस्वार्थ भाव से काम करना प्रथम दायित्व है। अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा में पूज्य बाबा जी मिलने वाली आध्यात्मिक प्रेरणा जनता का काम करने के लिए सदैव प्रेरित करती है। संस्था को इस अंचल के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि बताया।

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