
रायगढ़… बीते कई महीनों पर गौर किया जाए तो उद्योग प्रबंधन और ठेकेदारों की लापरवाही की वजह से उद्योगों में दर्जनों मौतें हुई है।उद्योग प्रबंधन और तथाकथित बेपरवाह ठेकेदारों के लिए ये मौतें महज हादसा है।लेकिन इनकी लापरवाही से हुई मौत के बाद उस परिवार के कितने लोग प्रभावित होते हैं।इसका अंदाजा ये लोग नहीं लगा सकते।
बता दें की रायगढ़ जिले में उद्योगों में हादसे लगातार बढ़ रहे हैं।लेकिन शासन प्रशासन बढ़ते हादसों पर जरा भी गंभीर नहीं है।उद्योगों में होने वाले हादसों की अगर सही तरीके से तफ्तीश की जाए तो प्रबंधन और ठेकेदार ही सीधे तौर पर जिम्मेदार नजर आएंगे।लेकिन ना तो सही जांच होती है और ना ही मरने वालों को उचित मुआवजा मिल पाता है।घटना के बाद से ही कंपनी के दलाल लाश की बोली लगाकर सौदेबाजी करते हैं और मरने वाले के परिजनों की मजबूरी का फायदा उठाकर राहत राशि देकर उन्हें विदा कर दिया जाता है।
फर्निश ठेकों की होनी चाहिए जांच..
ज्यादातर उद्योगों में चल रहे फर्निश ठेकों की अगर जांच की जाए तो आधे से ज्यादा ठेकेदार अपात्र निकलेंगे,फर्निश ठेकेदारों के पास कुशल कामगार है ही नहीं,पैसे बचाने के फेर में बाहर से आए ये तथाकथित ठेकेदार अकुशल श्रमिकों के जरिए काम करवाते हैं।अगर उद्योगों में चल रहे फर्निश की जांच की जाए तो किसी भी ठेकेदार के पास नियमानुसार सुरक्षा उपकरण नहीं है।बगैर सुरक्षा उपकरणों के ही मजदूरों की जान खतरे में डालकर उनसे काम करवाया जाता है।ठेकेदार पैसे बचाने के फेर में ईएसआईसी का पंजीयन भी नही करवा रहे,किसी मजदूर का पीएफ नही जमा हो रहा है और ना ही इन ठेकेदारों का श्रम विभाग में पंजीयन है।ऐसे में दुर्घटना होने के बाद मृत मजदूर को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता है।दो चार लाख रुपए मुआवजे के तौर पर देकर उद्योग प्रबंधन और ठेकेदार बरी हो जाते हैं।
बहरहाल प्रशासन को उद्योगों में हो रही दुर्घटनाओं को ध्यान में रखकर सभी उद्योगों में कार्यरत ठेकेदारों के पंजीयन सहित तमाम आवश्यक दस्तावेजों की जांच करते हुए इन ठेकेदारों से सुरक्षा के मापदंडों का सही तरीके से पालन करवाना चाहिए।





