
रायगढ़… इला मॉल के पास कल सवा तीन एकड़ सरकारी जमीन से कब्जा हटाने का मामला सुर्खियों में है।जैसे ही अवैध कब्जे पर प्रशासन द्वारा की गई कार्यवाही मीडिया में आई हर कोई हैरत में आ गया।दरअसल शहर में सक्रिय भूमाफियाओं के हौसले इतने बुलंद कैसे हो गए की कानून की किताब के मायने ही इन दुर्दांत भूमाफियाओं ने अपनी गैरकानूनी हरकत से बदल दिए। बेजा कब्जा की इस पूरी कहानी के बाहर आते ही इस बात की चर्चा आम होने लगी की क्या शहर में कायदे कानून नाम की भी चीज है या नहीं…?
दरअसल अब यहां सवाल यह खड़े हो रहे हैं की सवा तीन एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जा एक दो दिन में तो हो नहीं जाता।सरकारी जमीन को निगलने की प्लानिंग काफ़ी पहले से रही होगी।पहले दबंगई कर यहां के लोगों को डराया धमकाया गया होगा।उसके बाद जमीन पर कब्जा करके उस पर निर्माण करवाया गया होगा।जब इतने बड़े भूभाग पर कब्जा होकर निर्माण हो गया तो इस बात की भनक यहां के आरआई और पटवारी को कैसे नही हुई,आमतौर पर छोटे मोटे निर्माण कार्य होने पर पूरी तत्परता के साथ मौके पर पहुंच कर कायदे कानून का पाठ पढ़ाने वाले निगम के भवन विभाग के कर्मठ कर्मचारियों को इतने बड़े अवैध निर्माण की भनक कैसे नही लगी,अपने आप में यह बड़ा सवाल है।बहरहाल रायगढ़ कलेक्टर को इस पूरी मुआम्ले पर संज्ञान लेते हुए,किसने कब्जा कर निर्माण करवाया,किसने इसे लाखों करोड़ों में बेचा और किसने इस पूरी प्रॉपर्टी को अवैध रूप से खरीदा,और किन किन अधिकारियों की सरमायेदारी में ये पूरा काम हुआ,इस बात की निष्पक्ष जांच करवाकर,दोषियों के ऊपर एफआईआर दर्ज करवाना चाहिए।

