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बनोरा ट्रस्ट ने नेत्रानन्द को नम आंखों से दी अंतिम विदाई पंचतत्व में हुए विलीन

रायगढ़ /

जो आया है उसका जाना शाश्वत सत्य है लेकिन जाने के पूर्व ऐसे कर्म जो राष्ट्र निर्माण में सहभागी बने वो समाज के लिए वंदनीय व अविस्मरणीय होते है l नेत्रानन्द जी ने मौन रहते हुए ऐसे ही वंदनीय व स्मर्णीय कार्य किये जिसके लिए समाज सदा उनका आभारी रहेगा l अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा प्रदेश की सबसे बड़ी आध्यात्मिक पाठशाला मानी जाती है जहाँ राष्ट्रनिर्माण की शिक्षा दी जाती है l इस पाठशाला को तैयार करने में नेत्रानन्द जी ने अपना पूरा जीवन खपा दिया l उनके निधन के समाचार ने बनोरा ट्रस्ट से जुड़े हर सदस्य को व्यथित कर दिया l लगभग तीन दशक पूर्व बनोरा की एक एक ईंट रखने में अहम भूमिका निभाने वाले नेत्रानन्द जी ने बनोरा परिसर में ही प्राण त्यागे l सच मायनें में

बनोरा में ही उनके प्राण बसते थे l उन्होंने बनोरा में अपनी अंतिम साँसे इस विश्वास के साथ छोड़ी है कि हर जन्म में किसी न किसी रूप में इस पंथ की गतिविधियों को आगे बढ़ाने का महान कार्य जारी रहे l बनोरा ट्रस्ट द्वारा दी गई ससम्मान अंतिम विदाई ने तो मानो नेत्रानन्द जी स्तुत्य योगदान को सदा के लिए प्रमाणित ही कर दिया कि उनके जीवन का राष्ट्र ऋण अब शेष नही है l अघोर पंथ की पावन गँगा को बनोरा से प्रस्फुटित करने हेतु नेत्रानन्द जी का भागीरथी प्रयास रायगढ के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा l


अघोरा नाम परो मंत्रम के उच्चारण के साथ उनकी अंतिम यात्रा मुक्ति धाम पहुँची l परम परम पूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु के शिष्य बाबा प्रियदर्शी राम नेत्रानन्द इजारदार जी की अंतिम विदाई के गवाह रहे l मुक्तिधाम तक की अंतिम यात्रा में बाबा प्रियदर्शी राम जी भी शामिल रहे l बनोरा आश्रम से जुड़ी सभी शाखाएं डभरा आश्रम शिवरीनारायण काली मंदिर क्रिया कुटी रेनुकूट उत्तर प्रदेश औघड़ की मड़ई जिगना बिहार से जुड़े प्रतिनिधि सहित बनारस व रायगढ के लोग शामिल रहे l
मुक्तिधाम में बाबा प्रियदर्शी राम जी ने बनोरा ट्रस्ट के लिए समर्पित नेत्रानन्द इजारदार जी को अंतिम विदाई दी l बाबा प्रियदर्शी राम जी के श्रीस्पर्श से नेत्रानन्द जी की विदाई बनोरा ट्रस्ट के प्रति उनके समर्पित व निष्ठापूर्ण जीवन की सम्पूर्ण व्याख्या बन गई l

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