
रायगढ़-: करोड़ों रुपये के चावल घोटाले की गूंज पूरे सूबे में हलचल मचा रही है। लेकिन फिर भी कतिपय लोग शासकीय चावल की कालाबाजारी में पूरी मुस्तैदी से लगे हुए हैं।छत्तीसगढ़ में हुए चावल घोटाले के तार रायगढ़ से किस तरह जुड़े हुए हैं।इसकी एक बानगी दो दिन पहले कयाघाट की उचित मूल्य की राशन दुकान में देखने को मिला। जब राशन विक्रेता कमलाकांत त्रिपाठी गरीब हितग्राहियों का चावल शहर के एक कुख्यात चावल माफिया के यहाँ भेजने के लिए ऑटो में लोड करवा रहा था।चावल कालाबाजारी की ये घटना दुकान में लगे सीसीटीवी में भी कैद हो गई।हालाँकि खाद्य विभाग की टीम ने कमलाकांत त्रिपाठी को रंगे हाथ पकड़ते हुए दुकान निलंबित कर दिया है।और जानकारी यह भी मिल रही है की खाद्य विभाग की टीम ने वहाँ लगे कैमरे का डीवीआर् भी जाँच के लिये जब्त कर लिया है।लेकिन अब यहाँ सवाल यह उठता है की सरकारी राशन

दुकानों से उठने वाला यह चावल आख़िर खपाया कहाँ जाता है। कौन है गरीबों के हक के चावल को निगलने वाला चावल तस्कर जिसके संपर्क में ये उचित मूल्य की दुकानों के संचालक बने हुए हैं और लाखों का चावल घोटाला हर माह कर रहे हैं।
दरअसल नगर निगम की राजनीति में दखल रखने वाला ये कुख्यात चावल माफिया अपने राजनीतिक रसूख के दम पर शहर के तथाकथित कानून वयवस्था को अपनी मुट्ठी में कैद कर रखा है। और अली बाबा बनकर अपने चालीस चोरों (ऑटो में भरकर चावल पहुंचाने वाले लोग) के जरिये सरकारी राशन दुकान से ऑटो और पीकप में अपने ओडिशा रोड स्थित गोदाम तक पहुँचाता है। फिर उस चावल को अपनी सेटिंग वाली राइस मिल में बेच देता है। इस चावल माफिया ने चावल की तस्करी के लिए बाकायदा अपने आदमियों को ऑटो और पीकप भी दिलवा रखा है।
बहरहाल रायगढ़ में एक सुनियोजित राजनीतिक गठबंधन के जरिये बड़े पैमाने पर सरकारी चावल का घोटाला हर माह किया जा रहा है।जिसमें इस फूल छाप चावल माफिया के साथ शहर के राजनीति से जुड़े हुए कई सफेदपोश भी शामिल हैं।

