
रायगढ़-:बीते दस महीनों की अगर बात करें तो रायगढ़ पुलिस की भूमिका में काफ़ी बदलाव आया है।निवर्तमान एसपी संतोष सिंह की कार्यशैली से रायगढ़ पुलिस की ख्याति विदेशों तक फ़ैली।तो अब वहीं पुलिस की भूमिका को लेकर तरह-तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
अभी हाल ही में कांग्रेस के फायर-ब्रांड युवा नेता विभाष सिंह ने सैकड़ों गाड़ियों के साथ रैली निकालकर भाजपा के विवादित जिलाध्यक्ष उमेश अग्रवाल को गिरफ्तार करने की मांग की है।युवा नेता ने बाकायदा पुलिस को 10 दिनों का अल्टीमेटम भी दिया है।अगर 10 दिनों के भीतर उमेश अग्रवाल की गिरफ्तारी नही होती

है।तो उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है। दरअसल यह कोई एक मुआमला नही है।जिसमें किसी रसूखदार आरोपित के लिए प्रदर्शन कर उसकी गिरफ्तारी की मांग की गई हो।इससे पहले भी कुछ माह पहले लैलूंगा में हुए दोहरे हत्याकांड के बाद भी पुलिस की खूब छीछालेदर मीडिया में हुई थी।मामले में पुलिस की भूमिका को लेकर पीड़ित परिवार ने मुख्यमंत्री से मिलकर निष्पक्ष जांच की मांग की थी।जानकारी के मुताबिक इस मामले की जांच एसआईटी कर रही है।इधर रायगढ़ विधायक के पुत्र के मामले में भी पुलिस की स्पष्ट भूमिका नही थी।जब मुख्यमंत्री ने इस मामले को लेकर बड़ा बयान दिया तब खुद विधायक प्रकाश नायक ने अपने पुत्र सहित उसके साथियों को राजनीतिक दबाव में कोतवाली में सरेंडर करवाया।
बहरहाल पुलिस को लेकर फिलवक्त जिन दो मुद्दों को लेकर चर्चा हो रही है।उसमें भाजपा जिलाध्यक्ष की गिरफ्तारी और कांग्रेस नेत्री के सुसाइड मामला प्रमुख है।एक ओर पुलिस ने भाजपा जिलाध्यक्ष को गिरफ्तार करने में कोई दिलचस्पी अब तक नही दिखाई है तो दूसरी तरफ़ कांग्रेस नेत्री के मामले में महज प्रार्थना पत्र को आधार मानकर पत्रकार को जेल भेज दिया है।इस मामले में भी तमाम ऐसे तथ्य हैं।जिनपर पुलिस ने राजनीतिक दबाव में आकर जांच नही किया है।और एक ही व्यक्ति को आरोपी मानकर फाइल बंद करने की तैयारी में है।इस मामले में मृतिका के कॉल डिटेल,व्हाट्सअप चैटिंग,टेक्सट मैसेजेस और पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर भी पुलिस की चुप्पी कई संदेहों को जन्म दे रही है।इधर यह भी कहा जा रहा है की इस घटना के पहले कांग्रेस के एक तथाकथित नेता और निगम में ठेकेदारी करने वाले उसके भाई के साथ मृतिका का कुछ विवाद चल रहा था।खबर है की मृतिका के मोबाइल पर इन दोनों भाइयों ने सैकड़ों बार कॉल भी किया है।ऐसे में पुलिस इन्हें क्लीन चिट देकर क्या साबित करना चाह रही है।
कुल मिलाकर रायगढ़ पुलिस की भूमिका को लेकर तरह तरह की बातें अब आम हो गई है। इधर एक लोकप्रिय दैनिक अखबार में छपे एक लेख में भी पुलिस की भूमिका पर बड़े सवाल किए गए हैं।ऐसे में अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को रायगढ़ पुलिस की भूमिका पर खुद नजर रखनी होगी।अन्यथा पुलिस से शोषित और पीड़ित लोगों का गुस्सा आने वाले चुनाव में सरकार को झेलना पड़ेगा।

