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जब पेसा एक्ट कानून लागू है तो इसका पालन क्यों नहीं -.बजरंग अग्रवालछत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में ही गरीबों का खून क्यों चुसा जा रहा,आदिवासियो को उनके हक क्यों छीना जा रहा है पेसा कानून अधिकार क्षेत्र के बाहर है उनका दखल,

रायगढ़। महाजेंको द्वारा कोयला खदान हासिल करने के लिए जिस तरह से आदिवासियों का शोषण किया जा रहा है इसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। शासन द्वारा आदिवासियों को प्रदत्त पेसा कानून अधिनियम लागू है। कोयला प्रभावित गांव के प्रभावित आदिवासियों के द्वारा प्राप्त अधिकार के अनुसार ग्राम सभा कर हां या नहीं का अधिकार है। खान खनन खदान प्रभावितों का उद्योगपतियों द्वारा सत्ता का खौफ दिखाकर आदिवासियों को उनका हक छिना जा रहा है, जो की आदिवासियों के साथ घोर अन्याय है। यह कहना है पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल का, वे कहते हैं कि जब पेसा कानून को मानना ही नहीं है तो कानून क्या सिर्फ कागजों में दिखाने के लिए लाया गया है।
बजरंग अग्रवाल कहते हैं कि काफी समय से यह सुनने और देखने को मिल रहा है कि महाजेंको को मिली खदान से कोयला निकालने का एमडीओ अडानी ग्रुप को मिला हुआ है। और अडानी ग्रुप के अधिकारियों और महाजेंको के अधिकारियों द्वारा जिस तरह से ग्राम सभा की फर्जी कुट रचित दस्तावेज के सहारे खदान चालू करवाने पूरी एड़ी चोटी का जोर लगा रखे हैं। यह भी प्रमाणित हो चुका है कि कम्पनी द्वारा खदान हासिल करने आदिवासी क्षेत्र को मिले अनुसूची 5 के तहत पेसा कानून अधिनियम के तहत आदिवासियों को अपने जल जंगल जमीन और अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए यदि वे कल कारखाने खान खनन नहीं होने देना चाहते हैं तो पैसा कानून के तहत ग्राम सभा कर व्यवसायिक उपयोग के लिए अपनी जमीन नहीं देना चाहे तो इस कानून के तहत न विधान सभा और न लोक सभा सबसे ऊपर ग्राम सभा को रखा गया है। ग्रामीण खनन के खिलाफ लगातार ग्राम सभा में विरोध जता कर जमीन नहीं देने का प्रस्ताव पारित कर नीचे से लेकर जिला प्रशासन तक को अपनी असहमति दे चुके हैं। बावजूद इसके कम्पनी के जिम्मेदारों के द्वारा फर्जी कूट रचित दस्तावेज के सहारे लगातार दबाव बनाकर खनन करना चाहती है। जो कि सरकार द्वारा आदिवासियों को प्रदत्त शक्तियों का दुरुपयोग किया जाकर उनके अधिकार छीने जा रहे हैं।
पैसा कानून का प्रशासन अमल क्यों नहीं करा रही/-
पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल का आरोप है कि उद्योगपतियों द्वारा आखिर कब तक गरीबों आदिवासियों का हक छिना जाता रहेगा। कब तक आदिवासियों का शोषण होता रहेगा। जैसा की विदित है इस कानून के तहत एक बार विरोध में प्रस्ताव ले आया गया तो फिर कोई ऐसी शक्ति नहीं है जो इनसे बलपूर्वक जमीन छीन सके। बजरंग अग्रवाल का कहना है की जिला प्रशासन को फर्जी ग्राम सभा जमा कराने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करानी चाहिए।

कब तक आदिवासियों का खून चूसते रहेंगे /-
बजरंग अग्रवाल का कहना है कि आखिर कब तक आदिवासियों का प्रभावशाली उद्योग पति खून चूसते रहेंगे। महाजेंको कोल ब्लॉक की एम डी ओ कम्पनी अडानी भी तमनार ब्लॉक के आदिवासियों के साथ वही कर रही है। अडानी कम्पनी जिस तरह से पिछले दिनों आदिवासियों को प्रशासन के डंडे के बल पर पेड़ों की कटाई की गई इसके खिलाफ ग्रामीणों की मांग पर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। बजरंग अग्रवाल कहते हैं कि प्रभावित आदिवासियों को अधिकार प्राप्त है कि वे अपने जल जंगल जमीन अपनी सांस्कृतिक विरासत और धरोहर की कानून के अनुसार रक्षा करें।

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