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15 को जन्माष्टमी को महामहोत्सव के रूप में मनाएगा इस्कॉन रायगढ़ प्रचार केंद्र….बाल महोत्सव से लेकर भजन, संकीर्तन और पुष्पाभिषेक रहेगा खास….रायगढ़ में पहली बार जन्माष्टमी पर प्रदेशभर से जुटेंगे कलाकार एक छत के नीचे होंगे भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े कार्यक्रम

रायगढ़ /श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को महामहोत्सव के रूप में इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्ण कॉन्शियसनेस) रायगढ़ प्रचार केंद्र द्वारा 15 अगस्त को रेड क्वीन गार्डन में मनाया जाएगा। करीब 10 हजार लोगों के साथ जन्माष्टमी को महामहोत्सव के रूप में मनाने के लिए दोपहर से देर रात तक भक्ति आराधन के कई कार्यक्रम होंगे जिसके लिए प्रदेशभर से कलाकार रायगढ़ में जुटेंगे। पहली बार रायगढ़ में श्री कृष्ण जन्माष्टमी को इतने बड़े पैमाने पर जिले में मनाया जा रहा।
मेला,बाजार, प्रदर्शनी से इतर जन्माष्टमी के दिन रायगढ़ में इस बार भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत आराधना कई चरणों में की जाएगी। इस महामहोत्सव में आम आदमी से लेकर खास, भगवान श्रीकृष्ण की सेवा कर सकता है। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे का हरिनाम जप भी श्रद्धालु करेंगे।

तैयारियों को लेकर इस्कॉन द्वारा बुधवार को राजा पारा पल्लवी भवन स्थित इस्कॉन प्रचार केंद्र के मंदिर में प्रेसवार्ता आयोजित की गई। पत्रकारों को संबोधित करते हुए इस्कॉन रायपुर के मिथिलापति दास ने बताया कि इस्कॉन का उद्देश्य श्रीकृष्ण भावनामृत को विश्वभर में फैलाना है, जिससे लोग भगवान कृष्ण की भक्ति और प्रेम को अपने जीवन में अपनाएं। इस्कॉन आध्यात्मिक ज्ञान और वैदिक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए काम करता है, जिससे लोगों को अपने जीवन के उद्देश्य और अर्थ को समझने में मदद मिले। इस्कॉन सामुदायिक सेवा गतिविधियों में भी शामिल होता है, जैसे कि भोजन वितरण, शिक्षा और भटके युवाओं को सही दिशा प्रदान करना आदि। संस्था का उद्देश्य लोगों में भक्ति और प्रेम की भावना को बढ़ावा देना है, जिससे वे अपने जीवन में सुख, शांति और संतुष्टि प्राप्त कर सकें।

पुष्पों के साथ मनेगा भगवान का प्राकट्योत्सव

प्रेसवार्ता में 15 अगस्त के कार्यकमों की रूपरेखा के बारे में इस्कॉन प्रचार केंद्र रायगढ़‌ के प्रमुख कमल किशोर दास ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत दोपहर 3:00 बजे स्वस्ति वाचन से होगी। यह स्वस्ति वाचन बच्चों द्वारा किया जाएगा। यह खास रहेगा, क्योंकि छोटे बच्चों द्वारा संस्कृत के मंत्रों का उच्चारण और आराधना को देखना और सुनना एक अलग ही अनुभव होता है। इसी के साथ ही साथ बाल महोत्सव भी शुरू होगा। 15 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए बाल महोत्सव में अनेक विधाएं हैं जिसमें भगवान श्री कृष्ण से संबंधित भजन, श्लोक, नृत्य फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता होगी। शाम 7:00 बजे संध्या आरती व कीर्तन होगा। 7:30 बजे के बाद रात 9:00 बजे तक भजन संध्या का आयोजन किया गया है जिसमें एनआईटी रायपुर के इंजीनियर , खैरागढ़ के छात्र, रायगढ़ के संगीत विद्यालय के छात्र, विभिन्न स्कूलों के बच्चे, युवा सभी इसमें शामिल होंगे। रात 9:00 बजे से लेकर रात 12:00 बजे तक भगवान श्री कृष्ण का महाअभिषेक एवं जन्माष्टमी महोत्सव शुरू हो जाएगा। रात 12:00 बजे पुष्पों से भगवान का अभिषेक किया जाएगा, उसके बाद मंत्र उच्चारण कर और पुष्पों के साथ भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्योत्सव मनाया जाएगा फिर फूलों की होली खेली जाएगी। भगवान को 56 भोग अर्पण करने के पश्चात रात 12:30 बजे महा आरती की जाएगी और सभी भक्तों में महाप्रसाद का वितरण किया जाएगा।

तीन महीने से जारी है तैयारी
इस्कॉन मंदिर रायपुर के अंतर्गत आने वाली रायगढ़ की प्रचार शाखा ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को महामहोत्सव मनाने के लिए 3 महीने पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी। आमजन के सहयोग से यह कार्यक्रम हो रहा है। भगवान श्री कृष्ण की भक्ति और श्रीमद् भगवद् गीता को आम जनता तक पहुंचाने के लिए इस्कॉन ऐसे विभिन्न आयोजन बीते 3 साल से रायगढ़ में करता आ रहा है। कम समय में ही इस्कॉन की रायगढ़ शाखा में श्रद्धालुओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इसी कारण इस बार वे अपने राजा पारा के पल्लवी महल स्थित मंदिर में आयोजन न कर रेड क्वीन गार्डन में कर रहे हैं ताकि 10,000 के करीब श्रद्धालु एक साथ भगवान श्री कृष्ण के भक्ति का आनंद ले सके और हरिनाम जप करे।

रायपुर इस्कॉन मंदिर के मुख्य पुजारी रायगढ़ के युवा इंजीनियर

रायपुर इस्कॉन मंदिर के मुख्य पुजारी 31 वर्षीय मिथिलापति दास
हैं। रायगढ़ के श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महामहोत्सव के वह प्रभारी भी हैं। मिथिलापति दास रायगढ़ के ही हैं। उनका घर बेलादुला में है और उन्होंने ओपी जिंदल स्कूल से 2011 में पास होने के बाद एनआईटी से इंजीनियरिंग की डिग्री ली। फिर रायपुर और मुंबई में काम भी किया। इस्कॉन से जुड़ने के सवाल पर उन्होंने बताया कि परिवार शुरू से ही भक्ति भाव में था। स्कूल और कॉलेज में उन्होंने भगवत गीता को खूब पढ़ा। नौकरी के दौरान मंदिर में जाना लगा रहा। फिर काफी सोच विचार कर अपना संपूर्ण जीवन
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ यानि इस्कॉन के सिद्धांतों को समर्पित कर दिया। दीक्षित होने के बाद मुझे मिथिलापति नाम मिला। अब मैं श्रीकृष्ण भावनामृत को विश्वभर में फैलाने के संस्था के उद्देश्य में जुट गया हूं।

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