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आशा प्रशामक केंद्र में बुजुर्गों के मसीहा थामस फिलिप का दुखद निधन….जस्सी फिलिप्स के पति थामस फिलिप से निधन से दुखी है संस्था के बुजुर्ग

रायगढ़:रिहैब फाउंडेशन की संचालिका जस्सी फिलिप के पति थामस फिलिप का आज दुखद निधन हो गया है। बुजुर्गों के लिए समर्पित संस्थान आशा प्रशामक केंद्र में बुजुर्गों की देखभाल, चिकित्सा, कानूनी सहायता में थामस फिलिप का सराहनीय योगदान रहा। बेबस बेसहारा बुजुर्गों की सेवा हेतु दिन रात समर्पित रहने वाले थामस फिलिप के निधन से इस संस्था में निवास रात बुजुर्गों ने अपना एक सच्चा पालक खो दिया। सही मायने में थामस फिलिप अपनी धर्म पत्नी जस्सी फिलिप्स की व्हील चेयर के वो पहिए थे जिसने बुजुर्गों की सेवा हेतु लंबा सफर साथ में तय किया है। बुजुर्गों की सेवा हेतु अपने जीवन भर की कमाई लुटाने वाले श्री थामस ने सेवा के क्षेत्र में एक मिथक स्थापित किया है। दानवीर सेठ किरोड़ी मल की इस नगरी में थामस ने सेवा के जरिए जो कीर्तिमान स्थापित किया है वह रायगढ़ वासियों के लिए सदैव स्मरणीय रहेगा। ईसा मसीह के संदेशों प्रेम, क्षमा, सेवा, समर्पण, सत्य,नम्रता, विश्वास,अहिंसा को फिलिप दंपति ने सही मायने में आत्मसात किया । घृणित मानकर घर से निकालने वाले बेसहारा बुजुर्गों को जस्सी फिलिप एवं उनके पति थामस ने प्रेम से गले लगाकर यह सन्देश दिया कि किसी भी मनुष्य से घृणा नहीं करनी चाहिए। शत्रु मानकर घर से निकालने वाले बुजुर्गों को इस दंपति ने गले लगाकर अपना बनाया। ऐसे बहुत से अवसर आए जब थामस फिलिप ने लोगों से विद्वेष रखने की बजाय उन्हें माफ कर दिया। व्हील चेयर पर सवार जस्सी फिलिप एवं उनके पति थामस फिलिप ने बुजुर्गों की सेवा और उनके प्रति समर्पण का स्वर्णिम इतिहास बना दिया। व्हील चेयर पर सवार हौसलों की यह मीनार थामस फिलिप के निधन से कमजोर हो गई। नम्रता भाव से थामस ने बुजुर्गों की जो सेवा की है गीता के दिए गए मानव सेवा से माधव सेवा के उपदेश को सही मायने में परिभाषित करती है। ईसा मसीह का संदेश सभी मनुष्यों के लिए है, और यह प्रेम, क्षमा, और परमेश्वर के राज्य में विश्वास के माध्यम से उद्धार प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है। इस मार्ग का अनुशरण सही मायने में थामस फिलिप एवं उनकी धर्म पत्नी जस्सी फिलिप ने किया है।

शनिवार को होगा अंतिम संस्कार

थामस फिलिप का अंतिम संस्कार शनिवार को होगा । चक्रधर नगर लोचन नगर स्थित उनके आवास से 11 बजे अपराह्न उनकी अंतिम यात्रा शुरू होकर बोइरदादर स्थित ऑर्थोडॉक्स चर्च जाएगी।

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