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पर्यावरण संरक्षण को धता बताते हुए डोलोमाइट खदान के लिए और एक जन सुनवाई,एक लाख टन प्रतिवर्ष डोलोमाइट पत्थर के उत्खनन से क्षेत्र हो जायेगा और प्रदूषित,एनजीटी ने जिन 12 की जांच के लिए कहा है उसकी हो जांच फिर हो कोई जनसुनवाई – बजरंग अग्रवाल

रायगढ़। बरमकेला ब्लॉक के छैलफोरा में 1 लाख टन प्रतिवर्ष डोलोमाइट पत्थर उत्खनन करने शुभ मिनरल्स को जनसुनवाई कराने अनुमति दी गई है। इस क्षेत्र में डोलोमाइट पत्थर उत्खनन की वैध अवैध तरीके से बड़े पैमाने पर कारोबार संचालित है और पत्थर उत्खनन कारोबारी न सिर्फ पर्यावरण को क्षति पहुंचा रहे है और राजस्व की भी क्षति पहुंचा रहे हैं । इसे लेकर पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल ने प्रशासन से मांग की है कि खदान संचालकों द्वारा ईआईए रिपोर्ट का क्षेत्र में पालन किया जा रहा है या नहीं क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण को लेकर पौध रोपण की स्थिति क्या है आदि की पहले जांच हो इसके बाद ही शुभ मिनरल्स के डोलोमाइट खदान की जनसुनवाई कराई जाए, अन्यथा इसे लेकर एनजीटी में केस दायर किया जायेगा।

बरमकेला क्षेत्र के छैलफोरा क्षेत्र में क्रशर सहित बड़ी संख्या में डोलोमाइट खदान संचालित है जिसकी वजह से आसपास के करीब एक से दो दर्जन गांव प्रदूषण की चपेट में पहले ही है अब यदि शुभ मिनरल्स को एक लाख टन प्रतिवर्ष डोलोमाइट पत्थर उत्खनन की अनुमति दी जाती है तो यहां के हजारों ग्रामीणों का जीना मुश्किल हो जायेगा और क्षेत्र इसके बाद कई तरह की बीमारियां तेजी से घर करने लगेगी। छैलफोरा क्षेत्र के ग्रामीण पहले ही पर्यावरण को लेकर हलाकान हैं। यदि शुभ मिनरल्स को पत्थर उत्खनन की जनसुनवाई संपन्न कराई जाती है तो ग्रामीणों के साथ न सिर्फ अन्याय होगा बल्कि ऐसे कारोबारियों को संरक्षण मिलेगा। क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषण विकराल रूप धारण कर लेगा। इसलिए पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल के द्वारा प्रशासन और पर्यावरण विभाग से मांग किया है कि शुभ मिनरल्स की जनसुनवाई पर रोक लगाई जाए और पहले क्षेत्र की पर्यावरण प्रदूषण और ईआईए रिपोर्ट की जांच हो। इसके बाद ही शुभ मिनरल्स के 1.683 हेक्टेयर पर डोलोमाइट खदान की जनसुनवाई की अनुमति दी जाए।

एनजीटी के आदेश के अनुसार पहले जांच हो /
पहले ही एनजीटी ने शुभ मिनरल्स सहित 12 खनि पट्टे और लीज डीड के जांच के निर्देश दिए गए है। इन सबकी जांच अभी बाकी है। बजरंग अग्रवाल ने कहा है की पहले इनकी जांच हो इनकी रिपोर्ट एनजीटी को सौंप दी जाए और पर्यावरणीय मानकों की जांच हो जाए उसके बाद ही शुभ मिनरल्स को डोलोमाइट पत्थर उत्खनन के लिए जनसुनवाई की अनुमति दी जाए।

जांच के पहले जनसुनवाई पर जायेंगे एनजीटी/
पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल का कहना है की क्षेत्र में संचालित पहले से खदान और क्रशर की जांच हो ये सभी पर्यावरण मानकों का पालन किस हद तक कर रहे है पर्यावरण प्रदूषण से निपटने पौध रोपण और अन्य किस तरह के उपाय किए गए हैं। क्षेत्र में खदान और क्रशर से आस पास के आबादी पर इसका कितना दुष्प्रभाव पड़ रहा है और दुष्प्रभावों से निपटने किस तरह के कारगर उपाय किए गए है या नहीं। पहले एक कमेटी बना कर तमाम बिंदुओं की जांच की जाए इसके बाद जिला प्रशासन आगे की कारवाई करे। यदि शुभ मिनरल्स की जन सुनवाई के पूर्व वर्तमान स्थिति को लेकर जांच नहीं कराई जाती है तो इसके खिलाफ एनजीटी में केस दायर किया जाएगा और जिला प्रशासन और पर्यावरण को पार्टी बनाया जायेगा।

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