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युवा ढाबा संचालक विशाल सिंह नही था हत्यारे का टारगेट…? क्षेत्र के सरपंच ने मीडिया से कहा इलाके में सक्रिय किसी ” भूमाफिया” पर आक्रोशित था मर्डरर..इलाके में दो से तीन भू माफियाओं के सक्रिय होने की खबर….समय रहते प्रशासन ने लिया होता संज्ञान…तो टल सकती थी हत्या की वारदात…पढ़िए पूरी खबर…

रायगढ़। बीते 28 जनवरी को चक्रधरनगर थाना क्षेत्र स्थित मेडिकल कॉलेज रोड में दिनदहाड़े हुई ढाबा संचालक युवा व्यवसायी विशाल सिंह ठाकुर की दिल दहला देने वाली हत्या की वारदात में अब एक नई जानकारी सामने आ रही है जहां क्षेत्र के सरपंच हीरालाल खड़िया ने एक राष्ट्रीय अखबार के संवाददाता को दिए अपने अधिकृत बयान में साफ तौर पर कहा है कि वारदात को अंजाम देने वाले आरोपी (मर्डरर) ने सुबह ही उन्हें मोबाइल पर कह दिया था कि क्षेत्र में अवैध रूप से सक्रिय कथित भूमाफियाओ ,,(जनप्रतिनिधि भी)को समझा दें नहीं तो वो आज उसकी हत्या कर देगा…

सूत्रों से मिली जानकारी की मानें तो इस इलाके में वर्तमान में दो से तीन अलग अलग भू माफियाओं के सक्रिय होने की बात सामने आ रही है जिसमे से कुछ सत्ता पक्ष से भी जुड़े हुए हैं,और उन्हीं में से किसी एक से सम्बद्ध अवैध अतिक्रमण और निर्माण का सुपरविजन करने वाला युवक जो कि वारदात से पूर्व वहां समतलीकरण का कार्य करवा रहा था, किसी अन्य काम से वहां से अन्यत्र कहीं चला गया और मृतक विशाल सिंह जो कि इसी क्षेत्र में अपने लिए जमीन क्रय करना चाह रहा था वहां आया और वांछित प्लॉट के समतलीकरण की जानकारी लेने

लगा तभी एकाएक पहले से ही आक्रोशित युवक (आरोपी हत्यारा) वहां पहुंचा और विशाल सिंह (मृतक) को ही भू माफिया का साथी समझकर उसपे टांगिए से एक के बाद एक कई प्रहार कर उसे मौत के घाट उतारकर मौके से फरार हो गया। कुल मिलाकर मामले में अब तक जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक अब यह कहना गलत नहीं होगा कि मृतक विशाल सिंह ठाकुर, इस दिल दहला देने वाले मर्डर में हत्यारे का असली टारगेट (निशाना) नहीं था जो दुर्भाग्यवश काल के भेंट चढ़ गया।

प्रशासनिक उदासीनता भी वारदात की एक वजह..?
बता दें कि समूचे मेडिकल कॉलेज रोड इलाके में बीते कुछ महीनों से बहुत बड़े स्तर पर सरकारी, आदिवासी, कोटवारी और वनभूमि पर अवैध कब्जे, निर्माण और खरीदी बिक्री का कारोबार चल रहा है जिसे दो से तीन कुख्यात भू माफियाओं द्वारा अंजाम दिया जा रहा है जिसको लेकर स्थानीय अखबारों और वेब न्यूज़ पोर्टल्स पर नियमित रूप से खबरे भी प्रकाशित हो रहे है लेकिन रायगढ़ का राजस्व विभाग और उसके

जिम्मेदार अफसरानों की उदासीनता, एकाध अपवाद स्वरूप कार्यवाही को छोड़ दे तो ज्यादातर मामलों में स्पष्ट तौर पर देखी जा सकती है जबकि जमीन विवाद से जुड़े ऐसे संवदेनशील मामले में यदि प्रशासन समय रहते स्वस्फूर्त संज्ञान लेता तो शायद मृतक विशाल सिंह ठाकुर की इस लोमहर्षक वारदात का शिकार नहीं बनता और उसकी जान बच सकती थी ….??

आखिर कौन है वो भूमाफिया(निर्वाचित जनप्रतिनिधि )जो धड्डले से कोटवारी और नजूल भूमियों को बेच रहा है..

मिली जानकारी के अनुसार सत्ता पक्ष से जुड़ा हुआ एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि ही है जो इस इलाके में अवैध तरीके से बेची जा रही नजूल,कोटवारी और वनभूमियों के कारोबार का मास्टर माइंड है जो पिछले दो दशक से यहां की सरकारी जमीनों को अवैध तरीके से बेच खाया है।बता दें की इस लोमहर्षक हत्याकांड के पीछे जिस जमीन को प्रमुख वजह बताई जा रही है उस जमीन को भी इसी निर्वाचित जनप्रतिनिधि ने ही मकतूल विशाल सिंह ठाकुर को दिलवाया था।यहां यह भी

उल्लेखनीय है की इस जनप्रतिनिधि का ही नाम कथिततौर पर एक और विवादित जमीन को बेचने के लिए लिया जा रहा है।अगर सूत्रों की माने तो मेडिकल कॉलेज के ऑडियोलॉजिस्ट नित्यम सागर पटेल द्वारा प्राची विहार में कोटवारी जमीन पर बनाए गए अवैध मकान की कोटवारी भूमि भी इसी भूमाफिया(निर्वाचित जनप्रतिनिधि)द्वारा ही उन्हें दिलवाई थी।हालाकि इस अवैध निर्माण को तोड़ने का आदेश तहसील न्यायालय से हो चुका है।

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