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पढ़ई तुंहर दुआर में हमारे नायक चुने गए सहायक शिक्षक पटेल विद्यार्थियों ने मिट्टी के खिलौने, बर्तन, दीए व मूर्तियां निर्माण कार्य को देखा


रायगढ़, / विकासखण्ड रायगढ़ के शासकीय प्राथमिक शाला कछार, संकुल केन्द्र देवरी में सहायक शिक्षक के रूप में कार्यरत श्री गौरीशंकर पटेल पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम अंतर्गत हमारे नायक चुने गए हैं।
उल्लेखनीय है कि श्री गौरीशंकर पटेल ने बच्चों को स्वयं करके सीखने के अवधारणा के आधार पर छात्र-छात्राओं में मिट्टी के खिलौने, दीए, बर्तन एवं मूर्तियों के निर्माण के ज्ञान के सृजन का सराहनीय प्रयास किया। अनुभव आधारित शिक्षा देने व स्वयं अवलोकन कर सीखने के लिए ग्रामीण परिवेश में बच्चों को भ्रमण कराया तथा अध्यापन के जरिए अनुभव आधारित शिक्षा देने का प्रयास किया। श्री गौरी शंकर पटेल ने पर्यावरण विषय पर आधारित हमारे ग्रामीण काम धंधे को समझने के लिए स्कूल के समीप ही कुम्हार के पास ले जाकर बच्चों को कुम्हार द्वारा विभिन्न प्रकार के मिट्टी से बनाए गए वस्तुओं व इसके निर्माण गतिविधियों से रूबरू कराया। छात्र-छात्राओं ने बड़े ही उत्सुकता के साथ चाक पर चढ़े मिट्टी से घड़ा बनते देखा। मिट्टी से बनाए गए वस्तुओं जैसे घड़ा, मटका, दीपक, खपरैल, कलश आदि बनाने की प्रक्रिया पर कुम्हार के साथ चर्चा करते हुए मिट्टी से विभिन्न प्रकार की चीजों के निर्माण के हुनर से अवगत हुए। बच्चों को मिट्टी से चीजों के निर्माण के अंतर्गत मिट्टी के दीए, मूर्तियां, घरों में प्रयोग होने वाले मिट्टी के खिलौने, पोला बैल आदि बनाना सिखाया गया। कहते हैं सामाजिक और मानसिक स्तर को बेहतर बनाने में शिक्षक का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है। श्री गौरीशंकर पटेल का मानना है कि सैद्धांतिक समझ के बावजूद बच्चों के मन में

कौतूहल बना रहता है एवं इसी प्रकार करके एवं देख के सीखने के अनुभव अवधारणाओं के माध्यम से बच्चों में ज्ञान का सृजन होता है। सहायक शिक्षक श्री गौरीशंकर पटेल के हमारे नायक चुने जाने पर जिला शिक्षा अधिकारी रायगढ़ श्री आर.पी.आदित्य, डीएमसी समग्र शिक्षा श्री रमेश देवांगन ने इस कार्य के लिए श्री गौरीशंकर पटेल को बधाई व शुभकामनाएं प्रेषित की हैं।
क्या कहते हैं श्री गौरीशंकर पटेल
शिक्षक एक मोमबत्ती की तरह होता है, जो खुद जलकर प्रकाश रूपी ज्ञान बांटने वाला होता है। इस कार्य में हमारे प्रधान पाठक श्री भुनेश्वर प्रसाद पटेल वह मेरे समस्त स्टाफ  का बेहद सहयोग रहा। श्री भुनेश्वर प्रसाद पटेल, श्री आशीष रंगारी हमेशा से मेरे प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं, जिनसे मुझे सतत् मार्गदर्शन व प्रेरणा प्राप्त होता है। कुम्हार कला हमारे हस्तकला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हुआ करता था जो आज लगभग विलुप्त के कगार पर है। इनकी प्रेरणा से ही मैंने अपने विद्यालय के छात्र-छात्राओं को अपनी हस्तकला और ग्रामीण संस्कृति से जोडऩे एवं इसे सहेजने का एक छोटा सा प्रयास किया है। जब आपको आपके कार्य क्षेत्र में आपके किए गए प्रयासों व कार्य के लिए प्रशंसा पहचान मिलती है तो निश्चित रूप से और भी अधिक सतत् कार्य करने की प्रेरणा और ऊर्जा प्राप्त होती है।

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