
रायगढ़…बहुचर्चित मयंक मित्तल आत्महत्या प्रकरण के दौरान,सट्टा खाईवालों के सामाजिक बहिष्कार किए जाने की बात उठी थी। उस दौरान सर्वसमाज के लोगों ने एकमत होकर सट्टा खाईवालों का सामाजिक बहिष्कार किए जाने का फ़ैसला लिया था।दरअसल मयंक मित्तल कथित तौर पर सट्टा खाईवालों के तगादे से परेशान हो चुका था।और उसने आत्मघाति कदम उठाते हुए फांसी के फंदे पर झूलकर अपनी जान दे दिया था।जिसके बाद पुलिस ने तीन सट्टा खाईवालों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।मामले को छह माह बीत चुके हैं।और मामले से जुड़े सभी आरोपितों की कोर्ट से ज़मानत हो चुकी है।लेकिन इधर दो दिन पहले श्रीराम शोभायात्रा के लिए बुलाई गई बैठक में मयंक मित्तल आत्महत्या के मामले से जुड़े एक आरोपित के बैठक में शामिल होने के बाद से सोशल मीडिया में फिर से इस बात की चर्चा शुरू हो गई है की जब इन तथाकथित सट्टा खाईवालों के सामाजिक बहिष्कार का निर्णय लिया जा चुका है तो फिर इनकी सामाजिक बैठकों में स्वीकार्यता क्यों..?
बहरहाल इस बात को लेकर आयोजन समिति की ओर से मिश्रित प्रतिक्रिया मीडिया में आई है।और संभवतः आज की बैठक में इस विषय पर चर्चा भी होने वाली है।लेकिन समाज को सट्टेबाजों और खाईवालों से मुक्त रखना है तो कानून के साथ साथ समाज को भी कठोर निर्णय लेना होगा।नही तो आज मयंक तो कल किसी और की बारी है।

