
रायगढ़-:छत्तीसगढ़ में हुए करोड़ों रुपये के चावल (शासकीय चावल) घोटाले के तार स्पष्ट रूप से रायगढ़ से भी जुड़े हुए हो सकते हैं।जिस तरह से रायगढ़ में पीडीएस दुकानें बेलगाम तरीके से संचालित हो रही हैं।उसे देखकर तो यही लगता है कि, खाद्य विभाग का जरा भी कंट्रोल दुकान संचालकों पर नही है।
उल्लेखनीय है कि, बीते 30 दिसंबर को शिकायत के बाद खाद्य विभाग ने कयाघाट की दुकान में छापा मारकर दुकान संचालक कमलाकांत त्रिपाठी को चावल की कालाबाजारी करते हुए रंगे हाथों पकड़ा था।जिसके बाद कलेक्टर ने उक्त दुकान को निलंबित भी कर दिया था।इधर पंद्रह दिनों बाद फिर से एक शासकीय उचित मूल्य की दुकान की कलेक्टर से शिकायत करते हुए मोहल्लेवासियों ने लाखों रुपये के राशन की कालाबाजारी का आरोप लगाया है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि,पूरे शहर में संचालित राशन दुकानों की कमोबेश यही स्थिति है। विभाग द्वारा नियमित जाँच नही किये जाने के कारण दुकान संचालकों के हौसले बुलंदी पर हैं।
👉कैसे होती राशन की कालाबाजारी…
वार्ड नं. 29 कयाघाट की दुकान की जब जाँच की गई तो विभाग ने पाया की तकरीबन 34 क्विंटल चावल व अन्य सामान बचत पाया गया। जिसे दुकानदार कमलाकांत त्रिपाठी ऑटो में लोड करवाकर बाहर भेज रहा था।जिस पर विभाग ने कार्यवाही सुनिश्चित किया था। रंगे हाथों पकड़े गए चावल का बाजार मूल्य 50 हजार से भी ज्यादा का है। तो इस प्रकार बचत चावल को बाजार में बेचकर दुकानदार लाखों रुपये की कालाबाजारी प्रत्येक माह कर रहे हैं।और विभाग हाथ में हाथ धरे मौन बैठा हुआ है।
👉अब तक दुकान संचालक पर नही हुआ है एफआईआर…
34 क्विंटल चावल की कालाबाजारी करते हुए रंगे हाथों धरे गए दुकान संचालक कमलाकांत त्रिपाठी के खिलाफ अब तक एफआईआर विभाग ने दर्ज नही कराया है। महज दुकान निलंबित कर दी गई है।जबकि जाँच के दौरान दुकान में लगे सीसीटीवी का डीवीआर् जब्त किया गया था।डीवीआर् की जाँच के उपरांत ऑटो चालक और संचालक के उपर कार्यवाही की बात कही गई थी।बता दें कि, राशन की कालाबाजारी करते पाये जाने पर आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत कालाबाजारी में संलिप्त व्यक्ति के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही अथवा एफआईआर का प्रावधान है।





